कलयुग के 5000 वर्ष पूर्ण होने पर सरस्वती,गंगा और पद्मावती अपने रूप का परित्याग करके बैकुंठ में चली जाएगीं।

काशी तथा वृंदावन के अतिरिक्त अन्य सभी तीर्थ स्थान के भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा से इन देवियों के साथ बैकुंठ चले जाएंगे।

शालिग्राम, श्री हरि की मूर्ति पुरुषोत्तम भगवान जगन्नाथ कलयुग के 10000 वर्ष व्यतीत होने पर भारत वर्ष को छोड़कर अपने धाम को पधारेंगे।

देवपूजा, देवनाम,देवताओं के गुणों का कीर्तन, वेद,शास्त्र, पुराण, संत, सत्य, धर्म, ग्रामदेवता, व्रत तप और उपवास यह सब भी उनके साथ ही इस भारत से चले जाएंगे।

सभी लोग मदिरा और मांस का सेवन करेंगे। झूठ और कपट से किसी को घृणा नहीं होगी।